Tuesday, January 10, 2017

विश्व की अद्वितीय ट्रेन यात्रा “जागृति यात्रा” सफलतापूर्वक सम्पन्न जिसमें चंपारण के युवा समाजसेवी मुन्ना कुमार प्रबंधन टीम में शामिल रहे।

15 दिवसीय विश्व की अद्वितीय ट्रेन यात्रा “जागृति यात्रा” 24 दिसंबर को शुरू हुआ था जो 8 जनवरी को पूरे देश का यात्रा करके मुंबई वापस आ गई। इस जागृति यात्रा में 1 ट्रेन ,15 दिन ,12 रोल मोडेल 500 यात्री एवं 8000 किमी की यात्रा पूरा किया जो विश्व के अद्वितीय यात्रा में शामिल है। इस अद्वितीय ट्रेन यात्रा में चंपारण के युवा समाजसेवी मुन्ना कुमार भी प्रबंधन कमिटी “इंजिन रूम क्लब (ईआरसी) सुपर-30” के सदस्य के रूप में शामिल रहे। बताते चले कि मुन्ना कुमार 2014 के जागृति यात्रा में एक यात्री के रूप में शामिल रह चुके है और चंपारण के “जागृति ज़िला ब्रांड अम्बेस्डर” भी है। प्रबंधन कमिटी में पूर्व में रहे यात्री को ही शामिल किया जाता है जिसे विशेष प्रशिक्षण देकर यात्रा को सफल बनाने के लिए तैयार किया जाता है। मुन्ना कुमार का चयन भाषा के अनुवादक के रूप में हुआ और साथ में इलैक्ट्रिकल विभाग के रूप में भी जिम्मेदारी दी गई। पटना के बरसा के साथ मिलकर मुन्ना कुमार ने पूरे 15 दिन तक हिन्दी भाषी यात्रियों को अँग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करके समझाते रहे और अँग्रेजी फ़ाइल को हिन्दी में अनुवाद करते रहे। वही इलैक्ट्रिकल विभाग में मुन्ना कुमार ने पूरे ट्रेन में बिजली के निरंतर प्रवाह एवं साउंड के सही संचालन का देखभाल किया। सुपर-30 के रूप में विश्व से कुल 30 यात्रियों को शामील किया जाता और ट्रेन को सफल प्रबंधन हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण का कार्य पुणे में हुआ जिसमे सुपर-30 के सदस्यों को मोटिवेशन से लेकर टीम के रूप में कार्य करने के विशेष तरीकों पर प्रकाश डाला गया।
जागृति यात्रा के दौरान 500 यात्रियों ने पहला रोल मोडेल कर्नाटक के हुबली में सेलको के प्रबन्धक ए सेंथिल से मुलाक़ात किया और कालकेरी संगीत विध्यालय के मोडेल को देखा।इसके बाद बंगलोर में जागृति द्वारा आयोजित “जागृति उधम मेला” देखा और लगभग 60 सफल उध्यमियों से मिलवाया गया। वही रोल मोडेल के रूप में चंपारण के “डिजिटल एम्पोवेरमेंट फ़ाउंडेशन” के संस्थापक ओसामा मंज़र का प्रेरक संघर्ष कहानी से रु-ब-रु करवाया गया। बैंग्लोर के बाद मदुरै के “अरविंद आइ हॉस्पिटल” के डॉ. अरविंद से मिलवाया गया। अगला पड़ाव चेन्नई रहा जिसमें एक सफल उधम “श्री सिटि” को घुमाया गया जो उत्पादन के मामले में चीन को टक्कर दे रहा है। इसके बाद विशाखापटनम के आध्यात्मिक संस्था “अक्षयपतरा फ़ाउंडेशन” को घुमाया और दिखाया कि कैसे लाखों बच्चो को निशुल्क खाना के साथ पढ़ाई करा रहा है। इसके साथ ही कोस्टल यार्ड को भी घुमाया गया। विशाखापटनम के बाद अगला पड़ाव उड़ीसा के बरहमपुर के “ग्राम विकास” के मॉडेल को दिखाया गया । एक व्यक्ति ने किस तरह एक गाँव के तस्वीर को शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मामले में बदल के  रख दिया है। उड़ीसा के बाद बिहार के राजगीर को घुमाया गया और शिक्षा के उस प्राचीन विश्वविध्यालय से परिचित कराया गया। बिहार के बाद उतर प्रदेश के देवरिया ज़िला के बरपार गाँव में ठहराया गया जहां यात्रियो को मध्य भारत से परिचित करवाया गया। बरपार में रात्री में यात्रियों द्वारा बनाए प्रोजेक्ट का प्रदर्शन हुआ और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
देवरिया के बाद अगला पड़ाव दिल्ली रहा जिसमें कमानी हाल में यात्रियों के प्रोजेक्ट का परिणाम घोषित किया गया और वही रमण मगसेसे पुरस्कार से सम्मानित “गूंज” के संस्थापक अंशु गुप्ता से मिलवाया गया। दिल्ली के राजस्थान के तिलोनिया के बेयरफुट कॉलेज के संस्थापक बंकर राय से मिलवाया। यात्रा का अंतिम पड़ाव गुजरात के अहमदाबाद रहा जिसमें यात्रियों को गांधी की साबरमती आश्रम को दिखाया और मानव साधना के संस्थापक जयेश भाई पटेल से मिलवाया। अहमदाबाद अवस्थित एंटेर्प्रेनेउर्स डेव्लपमेंट इंस्टीट्यूट में विदाई समारोह का आयोजन किया गया जिसमें सभी यात्रियों एवं प्रबंधन कमिटी के सदस्यों को सम्मानित करते हुए प्रसस्ती-प्रमाण पत्र से उत्साहवर्धन किया गया। इसके बाद ट्रेन अपने गंतव्य स्थान मुंबई के लिए रवाना हो गई ।                


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