Wednesday, April 15, 2015

Champaran Satyagrah: Various aspect of this revolution for changing



चंपारण सत्याग्रह के विविन्न पहलु:
बिहार का चंपारण 1917 ई. में सत्याग्रह का पहला स्थल है.चंपारण का नाम आज गांधीजी के सत्याग्रह के परिप्रेक्ष्य में जाना जाता है लेकिन उससे पहले चंपारण को कोई नहीं जनता था.चंपारण में गांधीजी का आगमन चंपारण के लिए भी और गांधीजी के लिए भी एक मिल का पत्थर साबित हुआ . चंपारण सत्याग्रह जहां देश की आजादी के लिए एक रास्ता बनाया वही गांधीजी को अहिंसा रूपी हथियार मिला जो अंग्रेजो के लिए खतरनाक साबित हुआ.
आगमन की पृष्ठभूमि: चंपारण में भूमिपतियों द्वारा किसानों का निर्मम शोषण एवं नील के खेती हेतु बाध्य करना और इसके विरुद्ध जनाक्रोश ,एक सबसे बड़ा कारण है ,गांधीजी का चंपारण आगमन का. अंग्रेजो ने चम्पारण के एक लाख एकड़ से भी अधिक उपजाऊ भूमि पर कब्जा कर लिया था और उनपर अपनी कोठियां स्थापित कर ली थी। आज भी ये कोठियां अग्रेजों की अत्याचार का कहानी कह रही है. ये लोग खुरकी कोतवाली और तीनकठिया व्यवस्था के द्वारा किसानों पर तरह-तरह के जुल्म बरपाते और उनका शोषण करते थे। खुरकी व्यवस्था के तहत अंग्रेज रैयतों को कुछ रुपये देकर उनकी कुल जमीन, घर उत्यादि जरपेशगी रखकर उसपर उन्हीं से जीवन भर नील की खेती कराते थे। इसी प्रकार तीनकठिया व्यवस्था के तहत किसानों को अपने खेत के प्रत्येक बीघा के तीन कठ्ठे के उपर नील की खेती करनी पड़ती थी। इसमें खर्च रैयतों का होता था और बिना मुआवजा दिये नील अंग्रेज ले जाते थे। इतना ही नहीं अनेक तरह के टैक्स उनसे वसूला जाता था।
    ये एक तरह से दिल को दहला देने वाला दृश्य था जिसमे कुछ किसान नेताओं को आगे आने हेतु मजबूर किया. इन्ही किसानों में राजकुमार शुक्ल पर दुःख का पहाड़ टुटा था जिन्होंने गांधीजी को चंपारण बुलाने हेतु लखनऊ,कानपूर व् कोलकाता तक पीछा नहीं छोड़ा, अंततः शुक्ल ने गांधीजी को चंपारण आने हेतु राजी करवा लिए और कोलकाता से सीधे चंपारण के लिए रवाना हुए.
चंपारण आगमन एवं सत्याग्रह :- गांधीजी जी चंपारण में मुजफ्फरपुर से होते हुए 15 अप्रैल 1917 को पहुंचे और उसके बाद शुरू हुआ किसानों पर हुए अत्याचार का अवलोकन लेकिन आगमन के दुसरे दिन ही पुलिस सुपरीटेंडेंट का क़ानूनी नोटिस मिला ,चंपारण छोड़कर चले जाने की.लेकिन गांधीजी ने बड़े ही विनम्रता से क़ानूनी नोटिस को स्वीकार कर अपनी आगे की कार्य को चंपारण के मित्रोँ की सहयता से करते रहे.”सरकारी कानून के अनुसार मुझपर मुकदमा चलाया जानेवाला था.पर सच पूछा जाये तो मुकदमा सरकार के विरुद्ध था.कमिशनर ने मेरे विरुद्ध जो जाल बिछाया था ,उसमे उसने सरकार को ही फंसा दिया. ”-गांधीजी.

  गांधीजी ने निलहों के अत्याचार से निज़ात दिलाने के लिए किसानों से स्वं मिलते, पैदल ही विबिन्न इलाकों में जाकर खुली जांच करना सामिल है.मोतिहारी एवं बेतिया में हजारों किसानों का आना और अपना वक्तव्य लिखवाना  और किसानों के लिए गए बयानों के आधार पर सरकार को देने के लिए रिपोर्ट तैयार किया गया.गवर्नर को रिपोर्ट सौपने के बाद गांधीजी को सरकार द्वारा जाँच कमिटी में गैर-सरकारी सदस्य के रूप में नामित करना , कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण सफलता थी.जाँच समिति की रिपोर्ट की सरकारी स्वीकृति एवं विधानसभा द्वारा चंपारण कृषि संबंद्ध अधिनियम पास करके रैयतो को राहत सम्बन्धी व्यव्स्था लागु किया गया.इस तरह से बिना किसी हिंसा के एक बहुत बड़े जंग को जीत लिया गया जो भारतीय इतिहास की एक कालजयी तारीख के रूप में शुमार है.
सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान विविन्न रचनात्मक कार्यक्रम:- सत्याग्रह आन्दोलन ने चंपारण को राष्ट्रीय स्तर पर ला दिया. ऐसे तो गांधीजी चंपारण में किसानों की समस्या को लेकर आये थे और जब आकर देखा तो समस्या सिर्फ कृषि का ही नहीं बल्कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य का भी विकट था. आन्दोलन के दौरान कार्यकर्ताओं का एक दल तैयार हुआ जो आन्दोलन में अपने स्तर से सहभागिता निभा रहे थे.
·         गांधीजी ने उनके लिए व्यवहार, पहनावा,पोशाक, खान-पान,रहन-सहन आदि के सम्बन्ध में नियम निर्धारित करते थे और खुद पालन करते हुए करवाते थे.
·         जाट-पात का विरोध ,सह्भोजन एवं स्वालंबन हेतु कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करना
·         चंपारण की जनता की मूल समस्या अंग्रेजो ,कोठीवालों और जमींदारों से दर था जिसके लिए किसानों का उनके सामने बयान लेकर निर्भीक बनाना.
·          बच्चों , नौजवानों को रोजगारपरक शिक्षा देने हेतु बुनियादी विद्यालय खोलना.पहला बुनियादी विद्यालय बरहरवा लखनसेन में खुला और उसके बाद मधुबन,तुरकौलिया,भितिहरवा में खुला.भितिहरवा में जहा गांधीजी स्वं संचालन कर रहे थे वही कस्तूरबा गाँधी बरहरवा में.
·          गांवों में खासकर विद्यालय वाले स्वं पडोसी गाँव में स्वच्छता हेतु जागृति पैदा करना,सहयोग से रास्ता बनाना, सफाई करना,खुले में शौच ण करने हेतु लोगों को जागरूक करना.
·         स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता हेतु मुंबई से चिकित्सकों के दल को गांवों में व्यव्स्था करवाना.
·         गांधी ने अपने चंपारण प्रवास के दौरान कुष्ठ रोगियों की बहुत सेवा की
·         स्‍वयंसेवकों ने मैला ढोने, धुलाई, झाडू-बुहारू तक का काम किया

महीनों अहिंसात्मक तरीके से संचालित सारे कार्यो का रिपोर्ट बनाकर सरकार को सूचित करते रहना और स्थानीय लोगों प्रशिक्षित करते रहना जिससे इन रचनात्मक कार्यों को आगे भी जारी रखा जा सके. गांधीजी ने अपनी आत्‍मकथा में लिखा है कि-चम्‍पारण का यह दिन मेरी जिन्‍दगी में ऐसा था
जो कभी भुलाया नहीं जा सकता, जहां मैंने ईश्‍वर का, अहिंसा का और सत्‍य का साक्षात्‍कार किया।
समीक्षा:- चंपारण सत्याग्रह के पुरे घटनाक्रम को देखने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि गांधीजी ने जो क्रियाबिधि अपनाई और जनता ने जो सहयोग किया वह राष्ट्रिय आन्दोलन की अमूल्य निधि है. चंपारण सत्याग्रह के आधार पर भारत की विविन्न समस्यायों को सुलझाया जा सकता है.इसलिए चंपारण सत्याग्रह का भारतीय स्वतंत्रता संग्रह के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है.एक लघु स्तर पर सफल आन्दोलन को जब राष्ट्रिय स्तर पर कई सालों तक अनुकृति की गयी जिसके परिणाम स्वरूप भारत स्वतंत्र हुआ और भारत की नवनिर्माण की प्रक्रिया शुरु हुयी.

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