जागृति यात्रा के दौरान 500 यात्रियों ने पहला रोल मोडेल
कर्नाटक के हुबली में सेलको के प्रबन्धक ए सेंथिल से मुलाक़ात किया और कालकेरी
संगीत विध्यालय के मोडेल को देखा।इसके बाद बंगलोर में जागृति द्वारा आयोजित
“जागृति उधम मेला” देखा और लगभग 60 सफल उध्यमियों से मिलवाया गया। वही रोल मोडेल
के रूप में चंपारण के “डिजिटल एम्पोवेरमेंट फ़ाउंडेशन” के संस्थापक ओसामा मंज़र का
प्रेरक संघर्ष कहानी से रु-ब-रु करवाया गया। बैंग्लोर के बाद मदुरै के “अरविंद आइ
हॉस्पिटल” के डॉ. अरविंद से मिलवाया गया। अगला पड़ाव चेन्नई रहा जिसमें एक सफल उधम
“श्री सिटि” को घुमाया गया जो उत्पादन के मामले में चीन को टक्कर दे रहा है। इसके बाद
विशाखापटनम के आध्यात्मिक संस्था “अक्षयपतरा फ़ाउंडेशन” को घुमाया और दिखाया कि
कैसे लाखों बच्चो को निशुल्क खाना के साथ पढ़ाई करा रहा है। इसके साथ ही कोस्टल
यार्ड को भी घुमाया गया। विशाखापटनम के बाद अगला पड़ाव उड़ीसा के बरहमपुर के “ग्राम
विकास” के मॉडेल को दिखाया गया । एक व्यक्ति ने किस तरह एक गाँव के तस्वीर को
शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मामले में बदल के
रख दिया है। उड़ीसा के बाद बिहार के राजगीर को घुमाया गया और शिक्षा के उस
प्राचीन विश्वविध्यालय से परिचित कराया गया। बिहार के बाद उतर प्रदेश के देवरिया
ज़िला के बरपार गाँव में ठहराया गया जहां यात्रियो को मध्य भारत से परिचित करवाया
गया। बरपार में रात्री में यात्रियों द्वारा बनाए प्रोजेक्ट का प्रदर्शन हुआ और
सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
देवरिया के बाद अगला पड़ाव दिल्ली रहा जिसमें कमानी हाल में
यात्रियों के प्रोजेक्ट का परिणाम घोषित किया गया और वही रमण मगसेसे पुरस्कार से
सम्मानित “गूंज” के संस्थापक अंशु गुप्ता से मिलवाया गया। दिल्ली के राजस्थान के
तिलोनिया के बेयरफुट कॉलेज के संस्थापक बंकर राय से मिलवाया। यात्रा का अंतिम पड़ाव
गुजरात के अहमदाबाद रहा जिसमें यात्रियों को गांधी की साबरमती आश्रम को दिखाया और
मानव साधना के संस्थापक जयेश भाई पटेल से मिलवाया। अहमदाबाद अवस्थित
एंटेर्प्रेनेउर्स डेव्लपमेंट इंस्टीट्यूट में विदाई समारोह का आयोजन किया गया
जिसमें सभी यात्रियों एवं प्रबंधन कमिटी के सदस्यों को सम्मानित करते हुए
प्रसस्ती-प्रमाण पत्र से उत्साहवर्धन किया गया। इसके बाद ट्रेन अपने गंतव्य स्थान
मुंबई के लिए रवाना हो गई ।